भारत की जीवाश्म वैज्ञानिक की एक टीम ने 2017 – 2020 के बीच नर्मदा नदी घाटी मे जिला धार के बाघ और कुक्षी क्षेत्रों के कई गांवों में क्षेत्रीय अनुसंधान किया। हर्ष धीमान, विशाल वर्मा, जीवीआर प्रसाद और अन्य द्वारा उनके शोध पर एक पत्र भी हाल ही में प्रकाशित किया गया था जिसमें कहा गया था कि एक प्रमुख 3 वर्ष के शोध से यह निष्कर्ष निकला कि धार जिले के गांवों में पाए गए घोंसले और अंडे 66 मिलियन वर्ष पहले के हैं।
नर्मदा नदी की घाटी में मिले डायनासोर के बड़े अंडे
घोंसलों के बनावट के आधार पर, जीवस्मीय टीम ने अनुमान लगाया कि इन डायनासोरों ने आधुनिक समय के मगरमच्छों की तरह अपने अंडे उथले गड्ढों में दफन कर दिए थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये घोंसले बहुत नजदीक-नजदीक बनाए गए हैं। इनके अंडे कुछ 15 cm – 17 cm डायमीटर के बीच के हैं, जिससे यह समझ आता है कि टाइटनोसॉरस की भी कई प्रजातियां रही होंगी। खोजकर्ताओ का मानना है कि इस नई खोज से जीवाश्म इतिहास के कुछ सबसे बड़े डायनासोर के बारे में और महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त किया जा सकेगा।
टेथिस सागर से जुड़े हैं तथ्य
धार जिला के एक गांव बांकेर में एक उच्च माध्यमिक स्कूल में कार्यरत वर्मा ने कहा, अंडे उस मुहाने से मिले जहां टेथिस सागर का मलबा नर्मदा नदी में विलय हुआ था, जब प्लेट्स के अलग होने से नर्मदा घाटी में 500 किलोमीटर अंदर टेथिस सागर घुस गया था। यह टेथीस सागर गोंडवाना लैंड और लौरेशिया लैंड के मध्य स्थित एक सागर के रूप में याद किया जाता है जो एक छिछला और संकरा सागर था और इसी में जमे अवसादों के प्लेट संरचना के परिणामस्वरूप अफ्रीकी और भारतीय प्लेटों के यूरेशियन प्लेट से टकराने के कारण हिमालय और आल्प्स जैसे बड़े बड़े पहाड़ों का निर्माण हुआ था।
अंडे देने के बाद क्या हुआ डायनासोर का
उन्होंने कहा कि इसका कारण अंडे देने के लिए अनुकूल परिस्थितियों को खोजने में मां की भूल हो सकती है। ऐसी स्थिति में डायनासोर के अंडे Oviduct में रह जाते हैं और खोल का निर्माण फिर से शुरू हो जाता है। अंडे देने से पहले डायनासोर के मरने की भी घटनाएं हो सकती हैं। ये अंडे 15 cm – 17 cm डायमीटर के मध्य के थे जो संभवतः कई टाइटनोसॉर प्रजातियों के थे। प्रत्येक घोंसले में अंडों की संख्या 1- 25 तक होती है।
अंडे के साथ जीवस्म भी मिले
इन नर्मदा नदी की घाटी पर मिले अंडो के शोध करने के लिए देश-दुनिया के कई वैज्ञानिक धार जिले के बाग क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। वैज्ञानिकों ने ही सर्वप्रथम पाया कि बाग के समीप ग्राम पाडलिया में डायनासोर के जीवाश्म तथा उसके बड़े बड़े अंडे हैं। इसके बाद वन विभाग द्वारा इनके संरक्षण के कदम उठाए। जो लोग इनके बारे में जानते और पढ़ते हैं, वो तो आते रहते हैं। लेकिन आम आदमी की हैसियत से टूरिस्ट न के बराबर आते हैं।
यर्यटन का प्रमुख केंद्र है नर्मदा नदी
नर्मदा नदी घाटी एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व से पर्यटकों को आकर्षित करती है। धार जिला मांडू के विरासत शहर का घर है, जिसमें जहाज महल, रानी रूपमती महल, हिंडोला महल, जामी मस्जिद और हाथी दरवाजा हैं। नर्मदा घाटी में कई लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं, जिनमें नदी भी शामिल है, जिसे हिंदू धर्म में 7 सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है और तीर्थयात्रियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण है।
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