ब्रह्मपुत्र नदी पर बने 5 बांधो की खास बातें | Brahmaputra river dam.

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Brahmaputra river dam:- ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए गए सभी बांधों और उनसे संबंधित विस्तृत जानकारी पर आधारित इस ब्लॉग में, हम ब्रह्मपुत्र नदी के महत्व, इसके जल संसाधनों का उपयोग, और इस पर बने प्रमुख बांधों के बारे में बात करेंगे। ब्रह्मपुत्र नदी के बांधों की यह जानकारी उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है जो भारत और दक्षिण एशिया में जल प्रबंधन, पनबिजली उत्पादन और पर्यावरणीय प्रभावों में रुचि रखते हैं।

ब्रह्मपुत्र नदी

ब्रह्मपुत्र नदी एशिया की एक ख़ास और विशाल नदी है, जो तिब्बत, भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है। यह नदी तिब्बत में “यारलुंग त्संगपो” नाम से जानी जाती है, जबकि भारत में इसे ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में “जमुना” के नाम से जाना जाता है। लगभग 2,900 किलोमीटर लंबी यह नदी भारत में अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश के लिए जीवनरेखा के रूप में मानी जाती है।

ब्रह्मपुत्र नदी का महत्व

ब्रह्मपुत्र नदी जलवायु और जीवन रेखा के रूप में गहरा प्रभाव डालती है। इसके साथ ही यह कृषि, मछली पालन, परिवहन और पनबिजली उत्पादन में भी बहुत ही उपयोगी है। विशेष रूप से असम राज्य में, इस नदी की घाटी में चाय, चावल, और अन्य फसलों की खेती होती है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है।

Brahmaputra river dam

ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बांधों का मुख्य उद्देश्य जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और पनबिजली उत्पादन करना है। तो फिर चलिए Brahmaputra river dam के बारे में बात करते है।

Brahmaputra river dam

1.सुबनसिरी लोअर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (LHIP)

यह बांध असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है, और सुबनसिरी नदी पर बनाया गया है, जो ब्रह्मपुत्र की एक प्रमुख सहायक नदी है।

उद्देश्य: यह परियोजना पनबिजली उत्पादन के लिए बनाई गई है, जिसकी क्षमता 2,000 मेगावाट है। इस बांध का मुख्य उद्देश्य अलग अलग इलाकों में बिजली की आपूर्ति को बढ़ाना और आर्थिक विकास को गति देना है।

बांध बनने से पहले विवाद

इस बांध के निर्माण के दौरान भूस्खलन, भूकंप जोखिम, और पर्यावरणीय प्रभाव जैसे मुद्दे सामने आए। स्थानीय समुदायों और पर्यावरणविदों द्वारा इस परियोजना का विरोध भी किया गया, क्योंकि उन्हें बांध के पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों की चिंता थी।

बांध के निर्माण से सुबनसिरी नदी की पारिस्थितिकी पर गहरा प्रभाव पड़ा। मछलियों की आबादी में कमी, जलस्रोतों में परिवर्तन और स्थानीय समुदायों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

2.रंगा नदी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट

रंगा नदी बांध अरुणाचल प्रदेश में रंगा नदी पर बना हुआ है, जो ब्रह्मपुत्र की एक और सहायक नदी है।

Brahmaputra river dam

उद्देश्य: यह परियोजना भी मुख्य रूप से पनबिजली उत्पादन के लिए बनाई गई है, जिसकी क्षमता 405 मेगावाट है। यह बांध अरुणाचल प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति को बढ़ाने में मददगार है।

इस रंगा नदी के प्रवाह में कमी के कारण मछलियों की प्रजातियों की संख्या में गिरावट आई है, और नदी के किनारे बसने वाले बस्ती पर भी प्रभाव पड़ा है।

यह भी पढ़िए :- Brahmaputra river:- जानिए भारत की सबसे बड़ी ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल तथा इससे जुड़े रोचक तथ्य।

3.दिबांग मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट

दिबांग बांध अरुणाचल प्रदेश में दिबांग नदी पर स्थित है, जो ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी है।

उद्देश्य: दिबांग परियोजना का उद्देश्य पनबिजली उत्पादन के साथ-साथ बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई सुविधाओं को ठीक करने के लिए बनाया गया था। इसकी क्षमता 2,880 मेगावाट है, जिससे यह भारत के सबसे बड़े पनबिजली परियोजनाओं में से एक है।

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4.तिपाईमुख बांध

तिपाईमुख बांध मणिपुर राज्य में बराक नदी पर बना है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी है।

उद्देश्य: तिपाईमुख बांध का उद्देश्य मुख्य रूप से बाढ़ नियंत्रण और पनबिजली उत्पादन है। इस परियोजना की क्षमता 1,500 मेगावाट है।

5.जांगमु बांध

जांगमु बांध चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के ग्याका में एक चालू बांध है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर एक नया बांध भी बना रहा है, जिसे लेकर भारत चिंतित है क्योंकि इससे जल की गुणवत्ता, पारिस्थितिकी संतुलन और बाढ़ प्रबंधन प्रभावित हो सकता है।

Brahmaputra river dam

फायदा और नुकसान

ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बांधों ने जहां जल प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण, और पनबिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, वहीं उन्होंने स्थानीय पर्यावरण और समुदायों पर भी गहरा प्रभाव डाला है। इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि भूस्खलन, भूकंप और इंसानी बस्ती के पलायन में बेबस होना।

इन बांधों के निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और बिजली की आपूर्ति को बढ़ाना है, लेकिन इनसे जुड़े पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह जरूरी है कि ऐसी परियोजनाओं के निर्माण के दौरान पर्यावरणीय संरक्षण और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

ब्रह्मपुत्र नदी पर बांधों का निर्माण एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया है, जो दीर्घकालिक विकास और पर्यावरणीय संतुलन के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देती है। इस ब्लॉग के माध्यम से हमने ब्रह्मपुत्र नदी पर बने प्रमुख बांधों की जानकारी प्रदान की है, जिससे आप इन परियोजनाओं के महत्व और प्रभाव को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।

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