नर्मदा अष्टक: Narmada ashtak
Narmada ashtak:- भारतीय संस्कृति में नदियों को देवी और शक्ति का प्रतीक माना गया है। उनके पावन स्नान स्थल और मानव जीवन के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा से ही अद्वितीय रही है। इसी विचार के साथ, नर्मदा नदी भारतीय मान्यताओं और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। नर्मदा को माँ नर्मदा के रूप में पूजा जाता है, जिन्होंने अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पवित्रता और प्रभावी प्रभाव के लिए प्रसिद्धता प्राप्त की है।
नर्मदा अष्टक का महत्व
नर्मदा अष्टक एक महत्वपूर्ण प्रार्थना है जो माँ नर्मदा की महिमा को समर्पित है। यह अष्टक नर्मदा के पावन जल के माध्यम से उनके आशीर्वाद और कृपा का वर्णन करता है। इसमें नर्मदा के प्रत्येक रूप का वर्णन किया गया है, जो उसकी महत्वपूर्ण स्थिति और सबसे पावन स्थानों को दर्शाता है। नर्मदा अष्टक का पाठ करने से भक्त नर्मदा माँ के आद्यांत और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ अपनी आत्मा की शुद्धता को भी अनुभव करता है।
नर्मदा अष्टक श्लोक:-
नमामि देवि नर्मदां सदा सुखप्रदायिनीम्।कलौ कल्पलतेव भक्तिमुक्ति प्रदायिनीम्॥१॥
मनःकामार्थदायिनीं समस्तपापहारिणीम्।
सदा निमग्न साधुभिः सुपुण्यतोय धारिणीम्॥२॥
तरंगिणीं द्युतिं करीं महापाप दारिणीम्।
सुरेश्वरिञ् श्रियं करिं यशस्विनीं मनोहरम्॥३॥
जलेशयां सुरेशयोः प्रियां यशोमयीं शिवाम्।
प्रणम्यं पापनाशिनीं स्वधारयन्तमोजसाम्॥४॥
भुवं च पुष्पमालिनीं विचित्ररत्नभूषिताम्।
सुधारसारसंयुतां नमामि देवि नर्मदाम्॥५॥
शिवप्रियं सुखप्रदां श्रियं सुरेशपूजिताम्।
समस्तदुःखहारिणीं नमामि देवि नर्मदाम्॥६॥
नृणां प्रियां प्रियां शिवे सुवर्णभूषिताम्बराम्।
यशस्करीं निरंतरं नमामि देवि नर्मदाम्॥७॥
महेश्वर्यां सदा प्रियां सुसिद्धिदां सुमङ्गलाम्।
शुभप्रदां स्वभावुं नमामि देवि नर्मदाम्॥८॥