Saraswati river :- सरस्वती नदी क्यों हो गई हमारी आंखों से गायब, जानिए इसके पीछे का खास कारण।

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Saraswati river :- सरस्‍वती नदी को पवित्र नदी माना जाता था। इसी नदी के पानी का उपयोग करते हुए ऋषियों- मुनियों ने वेद लिखे औ‍र वैदिक काल के ज्ञान का विस्तारपूर्वक उल्लेखित किया। लेकिन आज सरस्वती नदी आंखो से ओझल गई है।

Saraswati river

भारत की धरोहर पवित्र नदियां (Saraswati river)

भारत देश न जाने कितनी विविधताओं से भरपूर है। कई तरह के खूबसूरत और मनोरम दृश्यों को खुद में समेटे हुए भारत देश अन्य जगहों के लिए न जाने कितने खूबसूरत नज़रों को प्रस्तुत करता है।हमारे देश में सदियों से न जाने कितनी संस्कृतियों का जन्म हुआ और न जाने कितनी लुप्त हो गयीं। लेकिन नदियां अपना पवित्र जल सभी जीव- जन्तु के कल्याण के लिए देती गयीं और अभी भी अपने जल से सभी को भरपूर अपना पवित्र जल उपयोग हेतु लगी हुई हैं। भारत न सिर्फ पहाड़ियों और समुद्रों के लिए एक अद्भुत जगह है बल्कि ये कई नदियों का संगम भी है। नर्मदा,गंगा और यमुना नदी के उद्गम स्थान के साथ भारत देश सरस्वती नदी जैसी वैदिक कालीन नदी को भी अपने नक़्शे में जोड़े रहने का गवाह है।

सरस्वती नदी का उद्गम स्थल

प्राचीन भारतीय महाभारत ग्रन्थ के अनुसार सरस्वती नदी का उद्गम स्थल अभी का हरियाणा प्रदेश के यमुनानगर के आदिबद्री नामक स्थान को माना जाता है।

सरस्वती नदी से जुड़े रोचक तथ्य

•सरस्वती नदी को वेदों, ग्रंथों में माता का विशेष स्थान प्राप्त है। सरस्वती नदी को देवी मां की तरह पूजा जाता है।

•शास्त्रों की मानें तो सरस्वती नदी एक श्राप के कारणवस धरती में समा गयी और अब हमें दिखाई नहीं देती है।

•वेदों तथा ग्रंथो में यह कहा गया है कि सरस्वती नदी अभी भी बह रही है। परन्तु आज यह नदी किसी को दिखाई नहीं देती है ।

•विज्ञान के अनुसार वो सैकड़ों साल पहले धरती पर थी लेकिन आज यह नदी विलुप्त हो चुकी है। इसलिए ये नदी अब हमें दिखाई नहीं देती है।

•वहीं एक और कथा के अनुसार इस नदी को प्राप्त एक वरदान के कारण यह विलुप्त होकर भी अस्तित्व में हैं। उसी वरदान की वजह से प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन माना जाता है, जबकि सरस्वती नदी कभी किसी को दिखाई नहीं देती है। फिर भी यह अस्तित्व में बनी है।

Saraswati river facts in hindi

वैज्ञानिकों का सरस्वती नदी का कैसे पता लगाया

वैज्ञानिक द्वारा खोजों से पता चला है, कि काफी साल पहले बहुत बड़ा भूकंप आया था। जिसके कारण जमीन के नीचे के पहाड़ तो ऊपर उठ गए, लेकिन Saraswati river का पानी नीचे की ओर चला गया था। जिसके बाद सरस्वती नदी यमुना में जाकर मिल गई और इसके साथ ही बहने लगी। यमुना से होते हुए ही Saraswati river का पानी संगम में त्रिवेणी बनाती है। प्रयागराज में तीन नदियों का संगम माना गया, जबकि असल में देखा जाए, तो वहां तीन नदियों का संगम नहीं है। वहां केवल दो नदियां हैं। सरस्वती कभी भी प्रयागराज तक नहीं पहुंची।

5 हजार साल पहले ही सुख गई Saraswati river

फ्रेंच के एक वैज्ञानिक माइकल डैनिनो के अनुसार:- Saraswati river एक बहुत बड़ी नदी थी जो कि संभवतः हड़प्पा सभ्यता के 5000 वर्ष पहले ही सुख गई या कह सकते है गायब हो गई इसके पीछे भौगोलिक परिवर्तन होना कारण हो सकता हैं | यह नदी सबसे पवित्र 5 नदियों में से एक सरस्वती हैं | जिनमे मुख्यत ब्रह्मपुत्र, गंगा,सिन्धु, यमुना एवम सरस्वती नदी है।

सरस्वती नदी का नाम सरस्वती कैसे पड़ा

इसके पीछे महान ऋग्वेद में कहा गया हैं कि संस्कृति, भाषा, ज्ञान ,कला, विज्ञान जन्म और वेदों की रचना( स्थापन ) इस नदी के तट पर ही की गई | सरस्वती नदी ज्ञान और कला की देवी हैं । इसलिये इसे सरस्वती नदी कहा गया हैं ।

इसरों द्वारा किये गये शोध से पता चला है कि कुरु क्षेत्र का ब्रह्मा सरोवर, पेहवा आदि में विद्यमान अर्द्ध चन्द्राकार झीलें तथा पंजाब, हरियाणा व उत्तर पश्चिमी राजस्थान – पाकिस्तान तक हकरा नारा के रूप में द्रश्यमान प्रवाह मार्ग सरस्वती नदी की भूमिगत उपस्थति के सबूत है।

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सरस्वती नदी से जुड़े:- FAQS 👇

सरस्वती नदी का पुराना नाम क्या था?

सरस्वती नदी का पुराना नाम प्लाक्ष्वती,वेद्समृति, वेदवती हैं।

सरस्वती नदी कहा स्थित है ?

सरस्वती नदी हरियाणा राज्य, पंजाब तथा राजस्थान से होती हुई कच्छ के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी

हैलो दोस्तो मेरा नाम रितेश रावत है। में इस वेबसाइट Narmada.site पर प्रतिदिन नदियों, तालाब, महासागर, जनरल नालेज, हिन्दी तथ्य और आवश्यक न्यूज़ के बारे में पोस्ट करता हु, जिसमें सभी जानकारी सटीक तथा विश्वसनीय होती है।

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