सोन नदी एक बारहमासी नदी है , जिसे सोने नदी ( son river) के नाम से भी जाना जाता है,जो मध्य भारत से होकर प्रवाहित होती है। सोन नदी यमुना नदी के बाद गंगा नदी की दूसरी सबसे बड़ी दक्षिणी सहायक नदी है। सोन नदी, भारतीय सभ्यता और प्राकृतिक संपत्ति का एक महत्वपूर्ण अंग है। इस नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं जो हमें इसकी महत्ता और महात्म्य का अनुभव कराते हैं।
सोन नदी का उद्गम स्थल
सोन नदी मध्यप्रदेश के जिला – अनूपपुर में अमरकंटक से इसका उद्गम स्थल माना जाता है, जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के उद्गम स्थान से पूर्व में स्थित है। यह नदी उत्तर प्रदेश – झारखंड – बिहार के पटना ज़िले में गंगा नदी में मिल जाती है।
Son river की कुल लंबाई
सोन नदी की कुल लंबाई :- 784 किलोमिटर ( 487 मील) है।
सोन नदी पर बने बांध
सोन नदी पर दो प्रमुख बांध 1.बाणसागर बांध और 2.इंद्रपुरी बैराज बांध हैं।
1.बाणसागर बांध
बाणसागर बांध एक बहुउद्देशीय सोन नदी घाटी परियोजना है, जो सोन नदी पर मध्य प्रदेश के गंगा बेसिन में स्थित है, इस परियोजना के तहत सिंचाई और 435 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन किया जाता हैं।
2.इंद्रपुरी बैराज बांध
विश्व का चौथा सबसे बड़ा इंद्रपुरी बैराज पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बिहार सरकार के पर्य़टन विभाग ने इंद्रपुरी बैराज को बढ़ावा दिया है । इंटरनेट से फेसबुक पर इसका पोस्टर जारी किया गया है। इस बैराज के माध्यम से पुराने शाहाबाद के अलावा अन्य 8 जिलों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। पर्यटन के मान्य से भी यह डैम बहुत ही महत्वपूर्ण है।
सोन नदी से जुड़े रोचक तथ्य (son river facts in hindi)
प्राचीनता का अनुभव: सोन नदी का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसने प्राचीन भारतीय सभ्यताओं को अपनी गोद में पाला है और उन्हें जीवन के लिए अनुपम संसाधन प्रदान किए हैं।
- 01.प्राकृतिक सौंदर्य: सोन नदी (Son river) की सुंदरता और शांति उसे एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती हैं। उसका किनारा और आस-पास का पर्यावरण विविधता से भरा हुआ है।
- 02.जल जीवन का संरक्षण: सोन नदी का जल जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन विकास के चलते इसे प्रदूषण और उपयोग की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हमें इसे संरक्षित रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
- 03.पर्यटन स्थल: सोन नदी के किनारे कई पर्यटन स्थल हैं। यहां के दर्शनीय स्थल आकर्षकता और ऐतिहासिक महत्ता से प्रेरित हैं।
- 04.सांस्कृतिक महत्व: सोन नदी के किनारे कई प्राचीन मंदिर और तीर्थ स्थल हैं जो भारतीय सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। यहां के महात्मा और तपस्वियों ने आध्यात्मिक ज्ञान को बोध किया और दुनिया को उनके उज्जवल परिप्रेक्ष्य में देखने का संदेश दिया।
उपसंहार:-
सोन नदी का महत्त्व और अनूठापन हमें इसे संरक्षित रखने और उसके संसाधनों का सही उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है। इसकी समृद्धि और सुरक्षा के लिए हमें साथ मिलकर काम करना चाहिए।
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